HALLA BOL LOG
Thursday, July 18, 2013
कब तक
ऊल जुलूल लिखने को
असमय उंडेल देने को
उतावला नहीं करते मुझे
मेरे शब्दकोष
उभरते नहीं भावनाओं सहित तब तक
सटीक न हो जब तक
लिखा जो मैंने अब तक
जज़्बात पहुंचे सब तक
पता नहीं उस रब तक
पहुंचेगा कभी कब तक
दीपक गुप्ता
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